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लक्ष्य
उपरोक्त पाठ्यक्रम उन विद्यार्थियों के लिए जो हिंदी साहित्य स्नातक स्तर पर नहीं पढ़ते के लिए निर्धारित किया गया हैं। पाठ्यक्रम में चार विचारधाराओं और चिंतकों के सिद्धान्तों के बारे में विद्यार्थी अपनी समझ विकसित कर सके और इन विचारधाराओं ने भारतीय साहित्य को किस प्रकार प्रभावित किया है यह जान सके और स्वयं पढ़कर अपना एक दृष्टिकोण विकसित कर सकें- यह पाठ्यक्रम का लक्ष्य है।
विद्यार्थियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे अपनी एलाइन्मेंट्स इस प्रकार चुने कि उनके आधार पर वे मौलिक हो सकें पाठ्यक्रम के 'लेख लिखने की ओर प्रवृत सत्र के दौरान विद्यार्थियों को सभी विचारधारा के तुलनात्मक अध्ययन के बाद अपनी दृष्टि में क्या बदलाव हुआ, से सम्बन्धित लेख मांगे गए।
कुल्लवी संस्कार उपन्यास के आधार समाज व परिवेश में जो परम्पराएं या कट थोडे समाज को निर्धारित कर रही है उन पर आधारित परियोजनार दी गई। टैगोर की गीतांजलि के आधार पर भारतीय संस्कृति, अध्यात्मवाद व विश्वबन्धुत्त / अन्तर्राष्ट्रीयतावाद पर परियोजनाएं दी गई। (विभागीय फाइल मे चूँकलित) विजय तेन्दुलकर के घावीराम कोतवाल नाटक को हिमपट प्रदेश विश्वविद्यालय की प्रतियोगिता हेतु तैयार करवाया गया जिसका गंपन विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत करके विद्यार्थियों व स्टान को दिखाया गया। सभी विचारको के आप्त वाक्यों के पोस्टर ( दोनों को में प्रदर्शित) मौलिक लेखों के लिए विद्यार्थियों ने जहां एक ओर अपने अपने गावी मुहल्लों परिवारों के विभिन्न लोगों से सम्पर्क करके अपनी स्वयं की दृष्टि विकसित की वही पाठ्यक्रम को समुदाय के साथ जोड़कर जानने व सीखने का अवसर भी हासिल किया।